चंद्रमा का कवि....... कहते हैं आदम के बाद किसी और मनुष्य ने वैसी तनहाई का अनुभव नहीं किया, जैसा माइकल कोलिन्स ने किया था। आदम पहला मनुष्य था, लेकिन माइकल कोलिन्स कौन था? माइकल पहला तो नहीं था, अलबत्ता वो 'पहलों' की टोली में शुमार ज़रूर था। तब भी प्रचलित धारणा तो यही है कि माइकल कोलिन्स 'तीसरा' था! 20 जुलाई 1969 को जो अपोलो-11 मिशन नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज़ एल्ड्रिन को चंद्रमा पर लेकर गया, माइकल कोलिन्स उसका तीसरा सदस्य था। आर्मस्ट्रॉन्ग और एल्ड्रिन चंद्रमा पर उतरे थे, कोलिन्स चंद्रमा के ओर्बिट में ही उनके लौटने की प्रतीक्षा कर रहा था। उसने चंद्रमा पर पाँव नहीं रखा। सी ऑफ़ ट्रैन्क्वलिटी पर उसके पैरों की छाप नहीं बनी। वो चंद्रमा के इतने क़रीब गया और उसे बिना छुए लौट आया। किंवदंतियों का हिस्सा बन चुकी इस कहानी के दो पहलू हैं। अव्वल तो वही- जो सब दोहराते हैं कि- नील और बज़ चांद पर गए, लेकिन माइकल को पीछे छोड़ गए, और मानो इस वजह से वो एक दोहरे बर्ताव का शिकार हुआ, या उसके साथ न्याय नहीं हुआ। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है। माइकल कोलिन्स अपोलो मिशन का 'मार्क्ड मैन फ़ॉर लाइफ़
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