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  चंद्रमा का कवि....... कहते हैं आदम के बाद किसी और मनुष्य ने वैसी तनहाई का अनुभव नहीं किया, जैसा माइकल कोलिन्स ने किया था। आदम पहला मनुष्य था, लेकिन माइकल कोलिन्स कौन था? माइकल पहला तो नहीं था, अलबत्ता वो 'पहलों' की टोली में शुमार ज़रूर था। तब भी प्रचलित धारणा तो यही है कि माइकल कोलिन्स 'तीसरा' था!   20 जुलाई 1969 को जो अपोलो-11 मिशन नील आर्मस्ट्रॉन्ग और बज़ एल्ड्रिन को चंद्रमा पर लेकर गया, माइकल कोलिन्स उसका तीसरा सदस्य था। आर्मस्ट्रॉन्ग और एल्ड्रिन चंद्रमा पर उतरे थे, कोलिन्स चंद्रमा के ओर्बिट में ही उनके लौटने की प्रतीक्षा कर रहा था। उसने चंद्रमा पर पाँव नहीं रखा। सी ऑफ़ ट्रैन्क्वलिटी पर उसके पैरों की छाप नहीं बनी। वो चंद्रमा के इतने क़रीब गया और उसे बिना छुए लौट आया।   किंवदंतियों का हिस्सा बन चुकी इस कहानी के दो पहलू हैं। अव्वल तो वही- जो सब दोहराते हैं कि- नील और बज़ चांद पर गए, लेकिन माइकल को पीछे छोड़ गए, और मानो इस वजह से वो एक दोहरे बर्ताव का शिकार हुआ, या उसके साथ न्याय नहीं हुआ। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है। माइकल कोलिन्स अपोलो मिशन का 'मार्क्ड मैन फ़ॉर लाइफ़

गर्म अरमान

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..... गर्म अरमान.............   _________________________ ■ सोचता हूँ आज तुम्हारी यादों को चाय पे बुला दूं और उन्हें कह दूं अगली बार उस शख्स को भी ले आना जिसकी यादों में मेरी रोज की चाय ठंडी होकर लुढ़क जाती है और फर्श पर छोड़ जाती है गर्म अरमान _________________________ ■ 2020 poem series

तुम्हारी प्रतिक्षाएँ...

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 her&me@p2s..   तुम्हारी प्रतिक्षाएँ...... प्रतिक्षाएँ चुरा लेती है हमसे बहुत कुछ तुमने हमारे लिए हमेशा प्रतिक्षाएँ चुनी प्रतिक्षाएँ अतीत के पन्नों पर रेड पेन से लिखा प्रश्नचिन्ह होती है जो  हमेशा तुम्हारे इंतजार के जवाब में उन लिखे खतों को ताकती है ..!!  

बदनाम गली .......

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बदनाम गली ......... ■ रात होती है तो शहर की बदनाम गली में दिन निकल आता है मंदिर के बाहर बैठा फूलवाला अपनी दुकान अब उन गलियों में सजा देता है सुबह हार बेचता रात में गजरे बनाता है मंद रोशनी में लोग चाँद ढूंढ़ने निकलते है अपने कच्चे मकानों से इन कच्ची गलियारों में फूलवाला बांध देता है हाथों पर वो महकता गजरा                                                  जिसमें कई फूल और बहुतसारी कलियाँ भी होती है फूल महकते है उस कमरे में जाने तक जहाँ एक कली पहले से रुकी होती है द्वार पर रात में परदे गिर जाते है और हाथ की बंधी वो कलियाँ द्वार पर की उस कली के साथ फूल बनकर उभर आती है और अपनी महक छोड़ जाती है उस कमरे के जर्रे जर्रे में फूलवाला निकल जाता है नये फूलों की तलाश में और उस बदनाम गली में फिर कोई कली आ जाती है रात में फिर फूल बनने के लिए _________________________ ■

बड़ी जलन होती है ..

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 ........बड़ी जलन होती है..... ये जो चेहरे पे तुम्हारे गुलाब खिले हैं आज तुम नहीं जानती ये सारे रात के चुम्बन हैं मेरे जो धीरे धीरे उग आये हैं ये जुल्फें यूँ बिखरकर जो चूमती हैं तुम्हें आजकल बड़ी जलन होती है ये आईना जिसमें तुम संवारती हो ख़ुद को और मिलाती हो उससे नज़रें बड़ी जलन होती है ये बिंदी जो चिपक कर बैठी है तुम्हारे माथे से तुम बाँध लो इन जुल्फों को न ही लगाना बिंदी कोई तुम्हें यूँ छुए तो पागल हो जाऊँ मैं तुम वो बड़ा वाला झुमका भी न पहनना जो लटककर कान में हिलकर चूमता है तुम्हारे गाल बड़ी जलन होती है सच में बड़ी जलन होती है इस हवा से भी जो छू के गुज़रती है तुम्हारी देह लगता है उन बारिश की बूँदों पर भी कर दूँ मुक़दमा जो तुम्हें अक्सर भिगो देती हैं बड़ी जलन होती है गाँव के मेले में गाँव के वो निठल्ले लड़के जब एकटक निहारते हैं तुम्हें बड़ी जलन होती है तुम्हारे साथ हरदम चलती है तुम्हारी परछाईं मुझसे ज्यादा रहती करीब तुम्हारे बड़ी जलन होती है........ इसे मैं पहले भी कुछ को सेंड किया था लेकिन केवलएक या दो ही पंक्तिया आज पूरा देख ही लीजिये जिसको जो लिखना है लिख दो ...बाकि आप वॉलपेपर के साथ पढ़कर ही