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बदनाम गली .......

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बदनाम गली ......... ■ रात होती है तो शहर की बदनाम गली में दिन निकल आता है मंदिर के बाहर बैठा फूलवाला अपनी दुकान अब उन गलियों में सजा देता है सुबह हार बेचता रात में गजरे बनाता है मंद रोशनी में लोग चाँद ढूंढ़ने निकलते है अपने कच्चे मकानों से इन कच्ची गलियारों में फूलवाला बांध देता है हाथों पर वो महकता गजरा                                                  जिसमें कई फूल और बहुतसारी कलियाँ भी होती है फूल महकते है उस कमरे में जाने तक जहाँ एक कली पहले से रुकी होती है द्वार पर रात में परदे गिर जाते है और हाथ की बंधी वो कलियाँ द्वार पर की उस कली के साथ फूल बनकर उभर आती है और अपनी महक छोड़ जाती है उस कमरे के जर्रे जर्रे में फूलवाला निकल जाता है नये फूलों की तलाश में और उस बदनाम गली में फिर कोई कली आ जाती है रात में फिर फूल बनने के लिए _________________________ ■