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गर्म अरमान

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..... गर्म अरमान.............   _________________________ ■ सोचता हूँ आज तुम्हारी यादों को चाय पे बुला दूं और उन्हें कह दूं अगली बार उस शख्स को भी ले आना जिसकी यादों में मेरी रोज की चाय ठंडी होकर लुढ़क जाती है और फर्श पर छोड़ जाती है गर्म अरमान _________________________ ■ 2020 poem series